अजीब चाहने वाले हैं हमारे,हमारे टूटने की खबर क्या मिली, समेटने आ गए हमें। अब जरा बताओ कोई उन्हें, हवाओं को कोई समेट सकता है क्या?
Wednesday, February 5, 2020
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