Friday, February 21, 2020

छुपे बैठे हो क्यों पर्दे में

छुपे बैठे हो क्यों पर्दे में,शाम अब ढलने को है, पर्दा अब गिरा भी दो, रात की किन्हे है फिक्र, वो तो हर चेहरे पर पर्दा गिरा देता है।

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