Thursday, December 12, 2019

मेरे एहसास

न जाने कितनी मोहब्बत थी लबों पर, पर उनकी खामोशी ने एक राज बना डाला, सोचा हंसकर हम भी छुपा ले, पर दर्द को कहां मंजूर था, एक आवाज लगा ही डाला ।

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