Thursday, September 5, 2019

मेरे एहसास

एक ख्वाब सजाया था दिल,उस ख्वाब की मूरत हो तुम। कहूं तो अब क्या कहूं, किन्हें ढूंढ रहे है हम। मिली तो मुकद्दर,ना मिली तो मूरत समझ,अपने दिल के किसी कोने में छोड़ आएंगे हम।

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