Saturday, December 29, 2018

मेरे एहसास

खामोश कहीं आंखें बंद कर सो जाता हूं, आंखें खोलने से डरता हूं,कहीं ख्वाब टूट ना जाए। भुला तो नहीं उन यादों को,बस छेड़ने से डरता हूं,कहीं वो रूठ ना जाए।

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