हर शख्स अपनी शख्सियत इठला रहा था,मैं दूर कहीं बैठा मुस्कुरा रहा हूं।
क्या कहूं खुद के बारे में,यह सोच कर घबरा रहा था। बिना दौड़ लगाए,क्या मैं हार जाऊं,यह सोचकर पगला रहा था, फिर उठकर दौड़ चला मैं, ना जाने क्या आगे होगा,बिना सोचे,नया गीत गुनगुना रहा था।
No comments:
Post a Comment