Saturday, August 4, 2018

मेरे एहसास

खामोशी की नगरी में,देखो मैं अभी भी मुस्कुरा रहा हूं। शायद यह उनकी यादें,जिन्हें अभी भी याद कर के गुनगुना रहा हूं।

No comments:

Post a Comment