हर रोज लड़ता हूं तन्हाई से, महफिल के वास्ते, गया में महफिल में,पर महफ़िल ही तनहा हो गया, ना जाने किन के वास्ते, मायूस होकर लौट ही रहा था,तब खयाल आया, तन्हा हम थे ,महफिल ना थी किसी के वास्ते।
Wednesday, March 4, 2020
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