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Sunday, February 27, 2022
तुम भी ना थे
सफर पर निकला ही था, तुम याद गए, एक तरफ मंजिल थी ,एक तरफ तुम थे, तुम्हें चूनता, मंजिल रूठ जाती, हमने उसका रूठना सही समझा, पीछे मुड़ा ही था, तुम भी ना थे।
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