Sunday, November 29, 2020
असदुद्दीन ओवैसी के पार्टी aimim के जीत,जात पात की राजनीति करने वाले क्षेत्रीय पार्टी के भविष्य गर्त में जा सकते हैं,पर कैसे?
असदुद्दीन ओवैसी के पार्टी aimim के जीत,जात पात की राजनीति करने वाले क्षेत्रीय पार्टी के भविष्य गर्त में जा सकते हैं कैसे?
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में AIMIM party की जीत पूरे देश में यह साफ तौर पर संदेश देता है की, मुस्लिम समाज के लोग एकजुट होकर मुस्लिम पार्टी को अपना समर्थन दे रहे हैं और जीता रहे हैं।
मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में AIMIM party की जीत एक ऐसे सोच की उत्पत्ति कर रहा है जो क्षेत्रीय पार्टियों और राष्ट्रीय पार्टियों के लिए खतरा है ,खासकर उन पार्टियों के लिए जो जात-पात और Secularism के नाम पर हिंदू वोट लेते हैं।
यह सोच है की हम हिंदू समाज जात-पात में क्यों बंटे हैं, क्यों ना हम भी एकजुट होकर हिंदू विचारधारा वाले पार्टियों का समर्थन करें और उन्हें जिताए।
हम तथाकथित Secular पार्टियों को वोट क्यों दें, मुस्लिम समाज के लोग तो एकजुट होकर, मुस्लिम समर्थित पार्टियों को जिता रहे हैं ,तो हम भी क्यों ना हिंदू समर्थित पार्टियों को जिताए। AIMIM party कि हरजीत, इस विचार को और तेजी से पूरे देश में फैला रहा है और हिंदू समर्थित विचारधारा वाले पाटियाँ और उनके समर्थक इस इस बात को बहुत जोर-शोर से देश के कोने कोने में यह संदेश फैलाने में लगे हुए हैं कि, देखो मुस्लिमों ने एकजुट होकर मुस्लिमों के पार्टी को जिताया है ,तो हम हिंदू समाज क्यों जात-पात में बंटे हुए हैं। और अगर यह विचारधारा लोगों के दिलों में हिंदू विचार धारा के पार्टियां बैठाने में कामयाब हो गए ,तो यह मान लीजिए की जात पात के राजनीति करने वाले क्षेत्रीय पार्टियां तो पूरी तरह से बर्बाद हो ही जाएंगे और तथाकथित Secular राष्ट्रीय पार्टियों के भविष्य भी गर्त में चला जाएगा ।
मैं दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में रहा हूं और जो समझ पाया हूं कि, दक्षिण भारत में हिंदू समाज अपने धर्म के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं अपेक्षा उत्तर भारतीयों से।
अगर दक्षिण भारत में भी इस विचारधारा को वहां के लोगों में बैठा दिया जाएगा ,तो आप यह मान लीजिए की भविष्य में विपक्ष में होने के लिए कुछ नहीं होगा। क्योंकि अगर हम विपक्ष की बात करते हैं ,तो विपक्ष में दक्षिण भारत के और गैर हिंदी राज्यों के सांसद ही बैठे हुए हैं,जो क्षेत्रीय पार्टियों के हैं।
अतः असदुद्दीन ओवैसी के पार्टी के हर जीत पर, विपक्ष और कमजोर होता चला जाएगा।
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