Thursday, November 28, 2019

मेरे एहसास

ख्वाहिशें अभी भी बाकी है, मंजिल मिले या ना मिले, रास्ते की क्यों मैं फिक्र करूं,इंतजार ही जब मेरी किस्मत में लिखी हैं।

No comments:

Post a Comment