Friday, November 30, 2018
मेरे एहसास
रूठ कर,खुद ही खुद को,मना लेता हूं,
रूठ कर जाऊं तो कहां जाऊं , दिखती नहीं निगाहें यहां कोई,जो मुझे खुद में बसा ले ।
मेरे एहसास
उनकी मोहब्बत भी हवाओं की झोंकों की तरह थी ,पास से गुजर गई और मैं देखता रहा, कोशिश तो यही थी। पर धड़कन में वैसे बसें, जैसे थी कोई गजल,जिसे मैं गुनगुनाने लगा ।
मेरे एहसास
दुनिया यह सोच रही थी,कहां खोए हुए है हम। और हम दुनिया को देख यह सोच रहे थे कहां खोए हुए हैं ये। पर हकीकत यह था कि ना हम खोए थे ना वे,बस खुद मे खोए हुए थे हम सब।
Wednesday, November 28, 2018
मेरे एहसास
नाराज क्यों होऊ मैं तुझसे,अगर तू साथ ना है।
अगर जीना ही जिंदगी है,तो खुश हूं मैं इस जिंदगी से, तेरे बगैर।
Tuesday, November 20, 2018
मेरे एहसास
महसूस करने लगा हूं खुद में तुझे, तुझे क्यों मैं याद दिलाऊं।
ढूंढो तो कहां ढूंढू तुझे,अपने दिल में ही तुझे पाऊं।
कहने दो जमाने को पागल मुझे,मैं तो बस तेरी यादों में ही मुस्कुराऊं।
Monday, November 5, 2018
मेरे एहसास
ना जाने क्यों वक्त छूट सा गया है,
होठों की मुस्कान भी अब,रूठ सा गया है।
टूटा तो अंदर कुछ भी नहीं, पर ना जाने क्यों,दिल रुठ सा गया ।
शायद यह हकीकत ही है कि,अब वक्त छुट सा गया है ।
अब जगा करती रातों, मेरी आंखें
,शायद मालूम है,इन आंखों को,की ये रिश्ता टूट सा गया है।
Sunday, November 4, 2018
मेरे एहसास
कभी एहसासों में,अगर मैं प्यार बन जाऊं, तो आँखों से अश्क ना बहाना, तेरी दर्द की एहसास मुझे, तुझसे ज्यादा मुझे रुलाएगी।
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