कैसे रोक दूं खुद को, बहती इन हवाओं में बहने से,दूर तलक ये जाती है। मैं थक जाऊं ये हो सकता है पर ये कभी ना थकतीं है। तभी तो दिल में सांसे बनकर, दिल को ये धड़काती है।
दिल तुमसे बैर करके शायद रुठ जाते हैं,पर देखो इन हवाओं को, बिना मनाएं ही दिल को धड़काते हैं ।
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