हिंदी शायरी, Hindi Shayari, Political view, Social Novel and Lyrics
Thursday, July 5, 2018
मेरे एहसास
मुस्कुराकर महफिलों में हम भी गा लिया करते हैं, झूठी ही सही, पर हंसी के पर्दे गिरा दिया करते हैं।
चलो एक झूठी दुनिया बसाते हैं, पर यकीनन इस दुनिया में तुम ना होगी।
No comments:
Post a Comment