Sunday, April 29, 2018
Saturday, April 28, 2018
Friday, April 27, 2018
Saturday, April 14, 2018
Dialogue
सांसो का क्या है,बह जाने दो दिल में उन सांसों को ।
रोकना है तो रोक को उन हवाओं को,जो गुजर जाती है उनके जाने से।
Tuesday, April 3, 2018
Words
थक्की नही है मेरी आंखे, उनके इंतजार में।
बस झुक गई है बातों की मार से।
कहें भी तो क्या कहें हम, लफ्जों के इन अल्फाज़ से।
दंगा
देश का एक और कड़वा सच
चाहे दंगा हो या बंदी, मरता तो बस गरीब है ,भूखे सोता तो बस गरीब है ,इससे अमीरों और नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता ।
दुकानें जलती है तो जलने दो उन अमीरों को क्या फर्क पड़ता है जो अपने दुकानों को इंश्योरेंस करा कर रखे हैं फर्क तो उन गरीबों को पड़ता है जिनकी दुकानें इंश्योरेंस नहीं हुई होती है । आमिर की दुकानें ₹10 lakh की जलती है तो 20 दावा करते हैं और और इंश्योरेंस कंपनियां उन्हें देती है पर वह गरीब कहां दावा करेंगे वह तो बस रोएंगे ही। कौन देगा उसे,ना सरकार ना कोई कंपनी। दुकानें बंद होती है तो होने दो, धनी लोग, नेताओं को क्या फर्क पड़ता है जिनके घर में महीनों के राशन रखे होते हैं । फर्क तो उन गरीबों को पड़ता है जो हर रोज कमाते हैं और अपने परिवार का पेट भरते हैं। कभी जाकर देखो उन गरीब के घरों में जो बंद के कारण उस दिन कमा नहीं पाते हैं और उनके घरों के चूल्हा जल नहीं पाते हैं ,देखो उन बिलखती बच्चों को जो भूख से तड़पते रहते हैं। बड़े-बड़े गाड़ियों में घूमने वाले क्या जाने की गाड़ी जल जाने का क्या दर्द होता है ,पूछो उन ठेले वालों से जिस पर अपना सामान बेचकर जिंदगी बिताते हैं और उनके ठेले को जला दिया जाते हैं। आपके बड़े बड़े गाड़ियों की तरह इनके ठेले का कोई इंशोरेंस नहीं होता साहब ।
देश का एक और कड़वा सच यह भी हैकि गरीब गरीब को लूट रहा है, गरीब गरीब को मार रहा है।
Monday, April 2, 2018
ख़ामोशी
मुस्कान ढूंढूं कहां से,मुस्कुरा देता हूं तेरी मुस्कान पर ।
कैसे कहूं दर्द है मुझे ,मुझे तो तेरी यादों में भी सुकून आता है।
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