Sunday, February 25, 2018
Thank You My Dear Life
ना जाने क्या जल्दी था ,बस मैं दौड़े जा रहा था । रास्ते भी नहीं, पर रास्ते बनाए जा रहा था । पैर तो थक ही गई थी, पर हौसलों ने चिराग जलाए रखा था। रुक भी जाता, तो हार ही जाता ,तो क्यों हार का साथ निभाता । कहा,चल ऐ जिंदगी दो कदम आगे ,शायद हार बस ख्वाब रह जाता । कहां थी रुकने वाली ,चार कदम चली और बोली,लो जल्दी दो कदम आगे,अब क्या हम जीते ।
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