तू ख्वाब थी या हकीकत,ये इस दिल को क्या पता था ।
नजरों ने खाया था धोखा,इस दिल का क्या कसूर था ।
तङपना तो था,दिल को ही । अब आँसूओं को बहाने का था,क्या फायदा |
नजरों ने खाया था धोखा,इस दिल का क्या कसूर था ।
तङपना तो था,दिल को ही । अब आँसूओं को बहाने का था,क्या फायदा |
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