मुश्कुराना तो मेरी आदत था,अब मजबुरि बन गई हैं।दिल के दर्द छुपाने के लिए और जिन्हें हमारी फ़िक्र है उनके चेहरे पर ख़ुशी पाने के लिए ।
Friday, June 19, 2015
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