उडने को बेताब है ये पंछी,उडने दे तू उडने देँ!
खुली आसमा, खुली आसमा उडने दे तू -उडने देँ!
ख्वाबोँ की पर है यार-उडने दे-उडने देँ, छूले ने दे आस्मा को!
उडने को है सारा जहा, अब मुझे उडने देँ-उडने को है सारा जहा ,अब मुझे उड. जाने दोँ
ऐ मेरे पंख मुझे उडने देँ-उडने की ख्वाहिश है,छुना है आसमा,अब मुझेँ उडने देँ छु लेने दे आसमा!
उँच्ची भी अपनी उडान(स्वपन) है, पंखोँ (इरादोँ) मेँ भी हाँ जान हैँ,
उडनेँ की ख्वाहिश है,छुना हैँ आसमा, जाना है दूर तक, छूनी है अपनी मंजिल,पाना है ये सारा जहा,अब मुझे उड. जाने देँ!
RSWA Hitler
Tuesday, May 7, 2013
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