अगर आप अपने धर्म के जानकार हैं, आप जिस समाज में पैदा लिए हैं उसके जानकार हैं तो,
अपने धर्म ,अपने समाज के रूढ़िवाद विचारों और कुरीतियों से अपने समाज को अवगत कराना-बताना आपका अधिकार ही नहीं ,कर्तव्य भी बनता है और अगर आप अपने धर्म के जानकार होने के नाते ,अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप स्वयं के साथ-साथ ,आप अपने समाज का भी दोषी हैं , जिस समाज में आप पैदा लिए हैं।
राजा राममोहन राय ये ऐसे समाज सुधारको में से एक थे ,जिन्होंने अपने समाज में व्याप्त रूढ़िवादी विचारधारा और कुरीतियों को अपने समाज को बताया ही नहीं बल्कि रूढ़िवादी विचारधारा और कुरीतियों के खिलाफ आवाज भी उठाया ।
आज उन्हीं की देन हैकी हिंदू धर्म, हिंदू समाज को,
*जाति प्रथा, बाल विवाह , महिलाओं की शिक्षा पर रोक , सती प्रथा* जैसोे अनेक प्रकार के रुढ़िवादी विचार और कुरीतियों से मुक्त कराया ।
लेकिन आज क्या हो रहा है ,आज हमारे इसी हिंदुस्तान में कोई अपने धर्म,समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढ़िवादी विचारधाराओं से, अपने समाज को मुक्त कराना चाह रहा है, अपने समाज को बताना चाह रहा है, तो उसके नाम पर फतवा जारी किया जा रहा है ।
क्या किसी को अपने धर्म में व्याप्त कुरीतियों ,रुढ़िवादी विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाना ,अपने समाज को बताना ,उस का अधिकार नहीं है ।
यह उसका हक हैकि वह अपने समाज में ,अपने धर्म में व्याप्त बुराइयों को मिटाए ,समाज को बताएं ।
तारिक फतह जैसे विद्वान ,समाज सुधारक ,जो यह चाहते हैं कि उनके समाज में ,उनके धर्म में व्याप्त यह बुराइयां खत्म हो जाए , लेकिन कट्टरवादी विचारधारा के लोग उनके नाम पर फतवा जारी कर रहे है ,उन्हें सरेआम बेइज्जत किया जा रहा है।
क्या यह उनके अधिकारों का हनन नहीं?
और जो लोग अपने आप को विद्वान कहते हैं वह भी आंखे बंद करके देख रहे हैं यह सब।
अपने धर्म ,अपने समाज के रूढ़िवाद विचारों और कुरीतियों से अपने समाज को अवगत कराना-बताना आपका अधिकार ही नहीं ,कर्तव्य भी बनता है और अगर आप अपने धर्म के जानकार होने के नाते ,अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप स्वयं के साथ-साथ ,आप अपने समाज का भी दोषी हैं , जिस समाज में आप पैदा लिए हैं।
राजा राममोहन राय ये ऐसे समाज सुधारको में से एक थे ,जिन्होंने अपने समाज में व्याप्त रूढ़िवादी विचारधारा और कुरीतियों को अपने समाज को बताया ही नहीं बल्कि रूढ़िवादी विचारधारा और कुरीतियों के खिलाफ आवाज भी उठाया ।
आज उन्हीं की देन हैकी हिंदू धर्म, हिंदू समाज को,
*जाति प्रथा, बाल विवाह , महिलाओं की शिक्षा पर रोक , सती प्रथा* जैसोे अनेक प्रकार के रुढ़िवादी विचार और कुरीतियों से मुक्त कराया ।
लेकिन आज क्या हो रहा है ,आज हमारे इसी हिंदुस्तान में कोई अपने धर्म,समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढ़िवादी विचारधाराओं से, अपने समाज को मुक्त कराना चाह रहा है, अपने समाज को बताना चाह रहा है, तो उसके नाम पर फतवा जारी किया जा रहा है ।
क्या किसी को अपने धर्म में व्याप्त कुरीतियों ,रुढ़िवादी विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाना ,अपने समाज को बताना ,उस का अधिकार नहीं है ।
यह उसका हक हैकि वह अपने समाज में ,अपने धर्म में व्याप्त बुराइयों को मिटाए ,समाज को बताएं ।
तारिक फतह जैसे विद्वान ,समाज सुधारक ,जो यह चाहते हैं कि उनके समाज में ,उनके धर्म में व्याप्त यह बुराइयां खत्म हो जाए , लेकिन कट्टरवादी विचारधारा के लोग उनके नाम पर फतवा जारी कर रहे है ,उन्हें सरेआम बेइज्जत किया जा रहा है।
क्या यह उनके अधिकारों का हनन नहीं?
और जो लोग अपने आप को विद्वान कहते हैं वह भी आंखे बंद करके देख रहे हैं यह सब।