पहला(1) दृश्य--
जंग के मैदन से भाग कर सिपाही अपने घर आया
दुसरा(2) दृश्य---
उसकी पत्नि अपने पत्ति को घर मे देख कर आश्चर्य मे पड़् जाती है और सोचती है ,अरे जंग के मैदान के बदले ये घर मे क्या कर रहे है। और अपने पत्ति से पुछती है, आपको तो अभी जंग के मैदान में होना
चाहिए था,आप यहाँ क्या कर रहे हैं।
पत्ति --(मुस्करते हुवे) ओह!हो आप क्या फ़िजुल की बात्तें पकड़े हुवे है ,हमने आपके लिए जंग के मैदान से झूठ बोल कर आया हुँ,
अरे आपका सुहाग आपके सामने खड़ा है,आपको तो खुशी से गल्ले लग जाना चाहिए था।
पत्नि ----ये सब कहते हुवे आपको शर्म नही आ रही है । माँ की सेवा ,सुरक्षा ही बेटे का पहला परम कर्तव्य होता है और उस परम कर्तव्य को छोड़ कर आप हमारे पास आए है, धिकार है उस पत्ति को जो अपने
माँ के रक्षा करने के बजाए पत्नी से मिलने आया है।
आजादि के पहले अगर हर औरत यहीं चाहती कि उसके पत्ति उनके पास हो तो आज हम-आप खुली हवा मे साँस भी नही ले पाते,
आप जैसे बेटों के कारन ही आज की माँ अपने आप को बेसहारा और अनाथ सोचती है। इतना कह कर पत्नि अपने समान बाँधने लगती है।
पत्ति----आपने तो हमारे साथ सात जन्मो तक साथ निभाने का वादा किया था।
पत्नि--- वो वादा उसी समय टूट गया जिस वक्त आप माँ की सेवा ,रक्षा को छोड़ कर यहाँ आने को सोचे थे ,सात जन्म की क्या बत्त करते है,मै आपके
साथ सात मिनट भी रहना पसंद नही करती---,पत्नि चली जाती है।
पत्ति ---वह फूट-फूट कर रोने लगता है।
तिसरा दृश्य(3)---
उसी वक्त उसकी माँ आती है और कहती है
वाह! बेटा वाह! आज तुने हमारे सिर को शर्म से झुका दिया ना।
बेटा ---माँ ओ तो परायी थी ,आप तो हमरे माँ है माँ,आपने तो हमें जन्म दिया है,आप ऐसी बत्तें कर रही हैं
माँ---- बेटा आपको इतना ही क्यों याद रहता हैंकि हमने आपको जन्म दिया ,हमने तो आपको 9 महिने गर्भ मे ही पाला,पोषा है परन्तु आप उस माँ को कैसे भूल गए,जो 9 महिने के उम्र से अभी तक पाली है,और
जबतक आपके शरिर मे साँसे है तब-तक पालेगी और साँसे टुटने पर भी वे अपने गोद मे समेट लेंगी ।
बेटा वापस जंग के मैदन मे चला जाता हैं
जंग के मैदन से भाग कर सिपाही अपने घर आया
दुसरा(2) दृश्य---
उसकी पत्नि अपने पत्ति को घर मे देख कर आश्चर्य मे पड़् जाती है और सोचती है ,अरे जंग के मैदान के बदले ये घर मे क्या कर रहे है। और अपने पत्ति से पुछती है, आपको तो अभी जंग के मैदान में होना
चाहिए था,आप यहाँ क्या कर रहे हैं।
पत्ति --(मुस्करते हुवे) ओह!हो आप क्या फ़िजुल की बात्तें पकड़े हुवे है ,हमने आपके लिए जंग के मैदान से झूठ बोल कर आया हुँ,
अरे आपका सुहाग आपके सामने खड़ा है,आपको तो खुशी से गल्ले लग जाना चाहिए था।
पत्नि ----ये सब कहते हुवे आपको शर्म नही आ रही है । माँ की सेवा ,सुरक्षा ही बेटे का पहला परम कर्तव्य होता है और उस परम कर्तव्य को छोड़ कर आप हमारे पास आए है, धिकार है उस पत्ति को जो अपने
माँ के रक्षा करने के बजाए पत्नी से मिलने आया है।
आजादि के पहले अगर हर औरत यहीं चाहती कि उसके पत्ति उनके पास हो तो आज हम-आप खुली हवा मे साँस भी नही ले पाते,
आप जैसे बेटों के कारन ही आज की माँ अपने आप को बेसहारा और अनाथ सोचती है। इतना कह कर पत्नि अपने समान बाँधने लगती है।
पत्ति----आपने तो हमारे साथ सात जन्मो तक साथ निभाने का वादा किया था।
पत्नि--- वो वादा उसी समय टूट गया जिस वक्त आप माँ की सेवा ,रक्षा को छोड़ कर यहाँ आने को सोचे थे ,सात जन्म की क्या बत्त करते है,मै आपके
साथ सात मिनट भी रहना पसंद नही करती---,पत्नि चली जाती है।
पत्ति ---वह फूट-फूट कर रोने लगता है।
तिसरा दृश्य(3)---
उसी वक्त उसकी माँ आती है और कहती है
वाह! बेटा वाह! आज तुने हमारे सिर को शर्म से झुका दिया ना।
बेटा ---माँ ओ तो परायी थी ,आप तो हमरे माँ है माँ,आपने तो हमें जन्म दिया है,आप ऐसी बत्तें कर रही हैं
माँ---- बेटा आपको इतना ही क्यों याद रहता हैंकि हमने आपको जन्म दिया ,हमने तो आपको 9 महिने गर्भ मे ही पाला,पोषा है परन्तु आप उस माँ को कैसे भूल गए,जो 9 महिने के उम्र से अभी तक पाली है,और
जबतक आपके शरिर मे साँसे है तब-तक पालेगी और साँसे टुटने पर भी वे अपने गोद मे समेट लेंगी ।
बेटा वापस जंग के मैदन मे चला जाता हैं