Tuesday, March 27, 2018

ख़ामोश

रुक तो गया हूं मैं पर दिल रुकती कहां है । रोती निगाहें नहीं पर सोती कहां है। अधूरी है ख्वाहिश पर झूठी नहीं है।

Monday, March 26, 2018

खामोशी

ना शब्द थे,ना खामोशी,ना था इंतजार किसी का , दिल तो हमने संभाल रखा था,पर ना जाने क्यों आंखे नम थी, शायद आंखों को किन्ही का इंतजार था ।

खामोशी

दर्द मे डूबे हो तुम कुछ इस तरह कि,अब तेरी आंखें भी खामोश है। कभी ये गुनाह हमे भी तो कर लेने दो।

Sunday, March 4, 2018

Dialogue

हम तो पत्थर है,पत्थरों को दर्द नहीं होते साहब, बस वो टूट जाया करते हैं ।

Thursday, March 1, 2018

Dialogue

चला था दिए को चांद बनाने, जमी को दीपो से सजा दिया । आई हवा के एक झोका और औकात बता गई ।