Wednesday, July 25, 2018

मेरे एहसास

दूर तक चला था मैं,सपनों की तेरी रास्तों पर,बेशर्त। रुक भी जाओ अब,आरज़ू अब कुछ भी नहीं,ना उसे पाने की,ना अब उसे खोने की,बेशर्त।

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