Wednesday, March 29, 2017

New Definatoin of Innocence in My Country

देश में दोगली राजनीति कब तक। शायद देश में अब मासूमियत की परिभाषा बदलते जा रही है ।मासूम वो लोग कहे जाएंगे जो खुलेआम राष्ट्रविरोधी नारे लगाएं, हमारे देश के सेना पर पत्थर फेंके, बम फेंके, ऐसे लोग मासूमों की श्रेणी में आएंगे। ये धर्म के राजनीति करने वाले लोग इतना नीचे गिर चुके हैं की आंतकवादी को भी हीरो बोलते हैं। जिनका कोई धर्म ही नहीं है क्योंकि आतंकवाद का कोई धर्म कोई जाति नहीं होता । क्योंकि कोई धर्म ,कोई मज़हब आतंक नहीं सिखाता है। पंजाब में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था। ऐसे राष्ट्र विरोधी ताकतों को मिटाने के लिए 1984 में ब्लू ऑपरेशन किया गया। और शांति का स्थापना किया गया ।तो फिर कश्मीर में हर रोज राष्ट्र विरोधी आवाज उठाने वाले लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है जो लोग हमारे देश के सेना को घायल कर रहे हैं मार रहे हैं उन्हें मासूम क्यों कहां जा रहा है । क्या ऐसे लोगों को मासूम कह के, कश्मीर के मुद्दे को वोट​ के लिए कोई सुलझाना ही नहीं चाह रहा है,बल्कि उसे और उलझा रहा है । जो लोग कश्मीर से 60000 से अधिक कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से बाहर निकाल दिया और ऐसे लोगों को मासूम कहा जाता है । जो लोग पाकिस्तानी आंतकवादियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं, उनका बचाव कर रहे हैं ,उनके लिए देश के सेना पर पत्थर फेंक रहे हैं , राष्ट्रविरोधी नारे लगा रहे हैं,ऐसे लोगों को मासूम कैसे कर सकते हैं हम । और अगर ऐसे लोगों को जो मासूम कह रहे हैं ,साफ तौर पर वह वोट की राजनीति कर रहे हैं ।वह सत्ता की राजनीति कर रहे हैं ,अपनी दुकाने चला रहे हैं ।जिससे वो आलीशान बंगले में बैठकर जिंदगी के मजे ले। ऐसे लोग शायद इस कहावत पर चल रहे हैं "अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता "। पर अब शायद देश के नेताओं को यह समझना चाहिए कि अब तुष्टिकरण की राजनीति से ऊपर उठ कर ,देशहित की राजनीति करें ।

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