Saturday, February 25, 2017

I Support you Dr.Tarek Fatah Sir for your Social Work 💼

अगर आप अपने धर्म के जानकार हैं, आप जिस समाज में पैदा लिए हैं उसके जानकार हैं तो,
अपने धर्म ,अपने समाज के रूढ़िवाद विचारों और कुरीतियों से अपने समाज को अवगत कराना-बताना आपका अधिकार ही नहीं ,कर्तव्य भी बनता है और अगर आप अपने धर्म के जानकार होने के नाते ,अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप स्वयं के साथ-साथ ,आप अपने समाज का भी दोषी हैं , जिस समाज में आप पैदा लिए हैं।
राजा राममोहन राय ये ऐसे समाज सुधारको में से एक थे ,जिन्होंने अपने समाज में व्याप्त रूढ़िवादी विचारधारा और कुरीतियों को अपने समाज को बताया ही नहीं बल्कि  रूढ़िवादी विचारधारा और कुरीतियों के खिलाफ आवाज भी उठाया ।
आज उन्हीं की देन हैकी हिंदू धर्म, हिंदू समाज को,                    
*जाति प्रथा, बाल विवाह , महिलाओं की शिक्षा पर रोक , सती प्रथा* जैसोे अनेक प्रकार के रुढ़िवादी विचार और कुरीतियों से मुक्त कराया ।

लेकिन आज क्या हो रहा है ,आज हमारे इसी हिंदुस्तान में कोई अपने धर्म,समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढ़िवादी  विचारधाराओं से, अपने समाज  को मुक्त कराना चाह रहा है, अपने समाज को बताना  चाह रहा है, तो उसके नाम पर फतवा जारी किया जा रहा है ।
क्या किसी को अपने धर्म में व्याप्त कुरीतियों ,रुढ़िवादी विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाना ,अपने समाज को बताना ,उस का अधिकार नहीं है ।
यह उसका हक हैकि वह अपने समाज में ,अपने धर्म में व्याप्त बुराइयों को मिटाए ,समाज को बताएं ।

तारिक फतह  जैसे विद्वान ,समाज सुधारक ,जो यह चाहते हैं कि उनके समाज में ,उनके धर्म में व्याप्त यह बुराइयां खत्म हो जाए , लेकिन कट्टरवादी विचारधारा के लोग उनके नाम पर  फतवा जारी कर रहे है ,उन्हें सरेआम बेइज्जत किया जा रहा है।

क्या यह उनके अधिकारों का हनन नहीं?

और जो लोग अपने आप को विद्वान कहते  हैं वह भी आंखे बंद करके देख रहे हैं यह सब।

ख्वाहिश

पत्थरों की कोई ख्वाहिश नहीं होते, इत्तेफाकन वो रेत बन जाते हैं ।
ख्वाहिशें क्या होतीे हैं ,वे भी जान जाते हैं ।

Tuesday, February 21, 2017

True of Life

👉🏻🙏🏻🙏🏻💐⛄☃🙏🏻🙏🏻👌🏻
बनावटी फूल और दिखावटी रिश्तो का उम्र बहुत ज्यादा होती है।
Artificial flowers and  mock Relationship has long age .

Monday, February 20, 2017

My New Song

https://youtu.be/8tdQpfjCWA8

Try to Writing Lyric

चले जा- चले जा ,चले जा- चले जा
ऐ वक्त अब  तू चले जा-ऐ वक्त अब  तू चले जा

 चले जा- चले जा ,चले जा~~~-
चले जा,चले जा-ऐ वक्त अब  तू चले जा ।

ना चाहिए तेरी यादों का साथी,
 चले जा- चले जा- चले जा ।

खुद को है मैंने ,खुद से संभाला
चले जा- चले जा- चले जा ।

चलने दे मुझको ,ऐसे ही यारा
चले जा- चले जा- चले जा ।

खुद का ऐ रास्ता, अच्छा लगे हैं मुझे
चले जा- चले जा- चले जा ।

चले जा- चले जा ,चले जा- चले जा
ऐ वक्त  तू चले जा~~~- चले जा ।

क्या मैंने खोया ,क्या मैंने पाया ,अब तू मुझे ये ना बता~~~
चले जा- चले जा ,चले जा- चले जा
ऐ वक्त  तू चले जा~~~- चले जा ।

अच्छा नहीं है दिल का सताना ,
चले जा- चले जा ,चले जा ।

अच्छा लगे हैं मुझे खुद में  भुलाना,
चले जा- चले जा ,चले जा- चले जा ।

अच्छा नहीं है दिल का सताना ,
चले जा- चले जा ,चले जा ।

चले जा- चले जा ,चले जा- चले जा, ऐ वक्त अब  तू चले जा ।
चले जा-चले जा ।

Wednesday, February 15, 2017

दर्द भी खामोश है

वक्त भी खामोश है, लब्ज भी खामोश है। खामोशी का आलम तो देखो, यहां तो दर्द भी खामोश है।

Sunday, February 12, 2017

कहना तो बहुत है, मगर

कहना तो बहुत है, मगर शब्दों की बंदिस है, बताओ अब मैं क्या कहूं।
महसूस करता हूं तुम्हारे हर दर्द को ,पर बताओ मैं क्या करूं ।

Saturday, February 4, 2017

Dialogue

बड़ी अजीब है हमारी मोहब्बत का दास्तां वह हमें मिटाकर भूलना चाहती है और हम उन्हें सजा कर, पर शायद हो न सका

Dialogue

इश्क़ के नाम लेकर लोग यूं ही बदनाम किया करते हैं हमें, किसी के दर्द ने हमें निकम्मा कर दिया था, हमें इश्क़ तो आता
 ही नहीं ।

Thursday, February 2, 2017

Dialogue

कब तक खुद को खामोश रखूं ये दिल, कभी तू भी तो खामोश हो जा, तेरी खामोशी ही मुझे खामोश कर देगी।

Dialogue

हम रुठ गए तो क्या हुआ, हमें मनाता भी कौन ।
ग़म के एक खिलौने थे जिन्हें हम खेल गए ,हमे रोकने वाला था कौन ।
इस जंग में जीत भी जाते तो क्या होता ,जश्न मनाने वाला था कौन।