Wednesday, November 16, 2016

जिंदगी तुम्हें रुकना आता नहीं

कुछ पल ,थम सी जाती है हवाएं और ये नदियां, शाम  ही सही ,पर रुकना इंहें आता नहीं ।
संभलती हुई चलती है ये जिंदगी, कभी रुकती तो कभी थक जाती,पर ना पसंद थी इसे कोई बंदिशों  बेडीयाँ । 

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