Sunday, August 9, 2015

Passenger

आशियाना तो बंजारे बदलते है राहगिर नही ,अनजाने आशिक़ी  के इस राह मे लक्ष्य भी वो होती है और मुकाम भी,चाहे वो मिले या ना मिले।

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