Wednesday, August 13, 2014

हूँ मै तेरा सहारा

मुझे काट देना ।
मुझे छाट देना ॥
हूँ मै तेरा सहारा ।
मुझे ना मार देना॥
                   मुझे वहाँ से भी निकाला ।
                   जहाँ घर था हमारा॥
                   जिस गोद मे खेला करते ,पशु सारा ॥।
      उस गोद को तुने ही छीन डाला ॥॥
                         
जग घर सूनी, जमी बंजर बना है सारा ।
कहीं आँशुओं के बुंद॥
कहीं भरा पडा है जल से सारा॥।
ये पाप है तुमहारा॥॥
                        हाथो में होंगें भरे पैसे।
खाने को न होगा दाना॥
अभी तक है तुने मारा॥।
जग बंजर खाली पडा है सारा ॥॥
अभी से तु संभल जा।
नही तो पडेगे तुझे लाला॥
लाले ही पडेगें ॥।
न होगा कोइ सहारा॥॥
        

No comments:

Post a Comment